संदेश

प्रेम प्रीत

 तुम संगीत हो तो मैं राग हूं तुम नींद हो तो में ख्वाब हूं। तुम बरसता सावन तो में बादल हूं तुम चांद हो तो में उसमे उजियारा।। तुम साथ चलो तो में तुम्हारी परछाईं हूं तुम खुश हो तो में तुम्हारी मुस्कान  तुम धूप हो तो मैं तुम्हारी छांव  तुम प्यार हो तो में तुम्हारा प्रीत  तुम सुर हो तो में तुम्हारा संगीत  तुम राधिका तो में कृष्ण उसमे। तुम पार्वती तो में शिव उसमे। आधे थे हम तुमसे मिलकर हुए पूर्ण उसमे रहेंगे साथ तुम्हारे जन्मों जन्म ये वादा रहा तुमसे।।                                                      आशीष 

कर्मपथ

कर्मपथ पर जो मिले वैसा उसे स्वीकार तू, भर हौसले की चाल से दे क़दमों को उछाल तू । एक घूंट की क्या प्यास है। दो घूंट की क्या प्यास है। अब निश्चय की छलांग एक गहरी भी तो मार तू, कर्मपथ पर जो मिले वैसा उसे स्वीकार तू । कठिनाइयों की बेड़ियों में कस चुके ये जो कदम, मिले थे इतने घाव आंखे अभी तक जो उनसे नम । ये प्रयास का जो शस्त्र है,अब धेर्य से दे तान तू । अब निश्चय की छलांग एक गहरी भी तो मार तू, कर्मपथ पर जो मिले वैसा उसे स्वीकार तू ।                                        ❤   by sahityashish

मैंने उठते-बहकते धुएं से पूछा

मैंने उठते-बहकते धुएं से पूछा, तू क्यों इतनी हरकत में है,, फ़िज़ा में घुल कर मिटने की चाहत में हूं। कभी इधर कभी उधर अभी मैं भी नशे में हूं। निकला जिसकी चिराग से, उसी का दर्द मिटाने की फितरत में हूं। एक बार नहीं दस बार सुलगाया गया हूं, मैं मौज में हर बार उड़ाया गया हूं। मैंने उस बेकरार दिल को समझाया, महसूस किया है, आखिर में क्यों राख में दफनाया गया हूं।                                           ❤  by sahityashish